कल अचानक एक कीताब में जालियांवाला हत्याकांड के बारे में पढ़ा तो मन एक दम से दर्द से भर गया.
यह हत्याकांड ब्रिटिश बर्बरता का एक नंगा उदाहरण है. ब्रिटिश लुटेरे इस देश का कल्याण करने नहीं आये थे, बल्कि सोने कि चिड़िया हिंदुस्तान को लूटने के लिए आये थे. उन में से एक न्यून पक्ष हिन्दुस्तानियों का हितैषी था, लेकिन अधिकतर लोग सिर्फ पैसा बनाने के लिए आते थे. लेकिन जब देश में आजादी की मांग होने लगी तो वे बेचैन हो गए. सोने की चिडिया हाथ से निकली जा रही थी. इस बीच प्रथम विश्व युद्ध आया तो उनको लगा कि अब हिनुस्तानी लोग उनके हाथ से निकल जायेंगे. लेकिन भारतीयों ने प्रथम विश्वयुद्ध में अंग्रेजों हर तरह से मदद कि क्योंकि इसके बदले उन्होंने हिंदुस्तान को आजाद करने का वाचन दिया था.

कम से कम १००० लोग वहीं पर तडप तडप कर खतम हो गए. कम से कम ५०० लोग बुरी तरह घायल हो गए. उन लोगों ने मेरीआपकी खातिर अपना जीवन दान किया. लेकिन हम लोग ऐसे जीते हैं
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